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मुन्नी की उम्मीद-02-Nov-2021

अभी दिये बिकने हैं बाक़ी,
रात अभी देखो है बाक़ी।

बाबू घर को आएंगे और
दो दिये हम भी जलाएँगे।
एक चौखट पर माँ धर देंगी
एक मैं रख दूँगी यम का दीप।

यही नन्हीं उम्मीद  रखती है मुन्नी 
दिये बेच बापू लाएंगे गुलाबी चुन्नी।

*सत्यवती मौर्य

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9 Comments

खूब लिखा आपने 👌👌

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Niraj Pandey

03-Nov-2021 12:20 AM

बहुत खूब

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Satyawati maurya

03-Nov-2021 10:14 AM

सादर आभार

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Zakirhusain Abbas Chougule

02-Nov-2021 11:32 PM

Nice

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Satyawati maurya

03-Nov-2021 10:14 AM

सादर आभार

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