मुन्नी की उम्मीद-02-Nov-2021
अभी दिये बिकने हैं बाक़ी,
रात अभी देखो है बाक़ी।
बाबू घर को आएंगे और
दो दिये हम भी जलाएँगे।
एक चौखट पर माँ धर देंगी
एक मैं रख दूँगी यम का दीप।
यही नन्हीं उम्मीद रखती है मुन्नी
दिये बेच बापू लाएंगे गुलाबी चुन्नी।
*सत्यवती मौर्य
ऋषभ दिव्येन्द्र
03-Nov-2021 01:59 PM
खूब लिखा आपने 👌👌
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Niraj Pandey
03-Nov-2021 12:20 AM
बहुत खूब
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Satyawati maurya
03-Nov-2021 10:14 AM
सादर आभार
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Zakirhusain Abbas Chougule
02-Nov-2021 11:32 PM
Nice
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Satyawati maurya
03-Nov-2021 10:14 AM
सादर आभार
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